Friday, 8 April 2011
उफ! किसने कर दी हरियाली की हत्या
वाराणसी, दुस्साहस तो देखिए। जिस रास्ते से प्रतिदिन जिले के तमाम आला अफसरों की गाडि़यां गुजरती है। कमिश्नर का आवास व विकास प्राधिकरण का दफ्तर जहां से चंद कदम की दूरी पर है। फिर भी निर्मम तरीके से कचहरी के समीप उद्यान विभाग के पिछले हिस्से पर सड़क के किनारे लगे आधा दर्जन से अधिक पेड़ों को काट डाला गया। नए वरुणापुल से जेपी मेहता इंटर कॉलेज से लेकर कमिश्नर आवास तक जिस मार्ग पर धूप अपने तेवर नहीं दिखा पाती थी आज उस इलाके के एक दर्जन से अधिक पेड़ काट दिए गए हैं। एक तो बनारस वैसे ही कंक्रीट का शहर बनता जा रहा है। विभागीय अफसरों की आंकड़ेबाजी के चलते हरियाली नाममात्र की रह गई है। ऐसे में अगर बड़े-बड़े पेड़ों को लोग यूं ही काटते रहेंगे तो शहर में सांस लेना भी मुश्किल हो जाएगा। जेपी मेहता इंटर कॉलेज के सामने बनारस क्लब के पिछले हिस्से में सड़क के किनारे दर्जनों पेड़ मौजूद थे। इधर कुछ महीनों से एक-एक कर पेड़ गायब होते गए। आज सिर्फ ठूंठ बचा है जो अपनी कुर्बानी की गवाही दे रहा है। सवाल यह उठता है कि आखिर वह कौन लोग हैं जो दिनदहाड़े या रात में पेड़ों पर कुल्हाड़ी चला कर मौज में हैं। पुलिस व वन विभाग के लोग आखिर कहां गए। सूत्रों की माने तो क्षेत्र में खानाबदोश लोग अपना डेरा-डंडा कई महीनों से जमाए हैं। उनमें से कुछ परिवार लकड़ी के खिलौने बनाने का भी काम करता है। आशंका है कि खिलौने के लिए उन्हीं लोगों ने पेड़ों की बलि चढ़ा दी होगी
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