Monday 23 May, 2011

मिट रही उद्धार की इबारत भी

अब तो मां गंगा के उद्धार की उद्घोषणा करने वाले शब्द भी मिटने लगे हैं। इसके लिए लगाया गया शिलापट्ट भी एक कोने में इस तरह दुबक गया है कि ढूंढ़ना मुश्किल। काशी के जिस घाट पर यह उद्घोषणा की गई थी, वह घाट भी अब झुग्गीनुमा दुकानों की भीड़ में गुम हो गया है। न तो यह स्थान मामूली है और न ही उद्घोषणा करने वाला व्यक्ति। यह वह स्थल है जहां से तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी ने गंगा को प्रदूषण से निजात दिलाने का एलान किया था। मां गंगा की दशा बद से बदतर होती जा रही है पर राजीव गांधी का वह भगीरथ प्रयत्न परवान नहीं चढ़ सका है। स्व. राजीव गांधी ने मां गंगा को निर्मल व स्वच्छ बनाने की योजना बनाई थी। इसके तहत गंगा में गिरने वाले नालों व सीवर को ट्रीटमेंट प्लांट से जोड़ दिया जाना था। गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने के इस राष्ट्रीय अभियान की शुरुआत काशी के ही प्रसिद्ध राजेन्द्र प्रसाद घाट से हुई थी। दश्वाश्वमेध घाट से सटे इस घाट पर राजीव ने ज्येष्ठ शुक्ल सप्तमी, 14 जून 1986 को पांच साल के भीतर मां गंगा के मूलरूप को वापस लौटाने का एलान किया था। यह कोई आम एलान नहीं था वरन देश की सर्वोच्च सत्ता द्वारा की गई घोषणा थी। यह अलग बात है कि आज तक यह कार्य पूरा न हो सका बल्कि आज तो इस घोषणा का नामों निशान तक मिटने लगा है। स्थिति यह है कि बाहर से देखने पर राजेन्द्र प्रसाद घाट ढूढ़ा ही नहीं जा सकता। इस घाट पर जाने वाले मार्ग पर झुग्गीनुमा दुकानों का कब्जा है। कभी रेडिश मार्केट का हिस्सा रहीं इन दुकानों को इस घाट पर बसा दिया गया है। घाट पर अगर किसी तरह कोई पहुंच भी जाए तो उसे यह पता नहीं चल सकेगा कि इस स्थल पर देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री ने गंगा को प्रदूषण से निजात दिलाने के लिए कोई घोषणा की थी या कोई परियोजना शुरू की थी। इस अवसर पर बनाया गया शिलापट्ट अब लापता है। इसकी जगह मानमंदिर की दीवार में राजेन्द्र प्रसाद घाट के निर्माण व उद्घाटन के संबंध में चस्पा शिलापट्ट के अंत में कुछ पंक्तियां गंगा प्रदूषण मुक्ति अभियान की शुरूआत को समर्पित कर दी गई हैं। इसमें लिखा गया है कि ज्येष्ठ शुक्ल सप्तमी संवत 2043 तदनुसार 14 जून 1986 दिन शनिवार को राजीव गांधी प्रधानमंत्री भारत सरकार ने गंगा प्रदूषण मुक्ति अभियान की शुरुआत की थी। वैसे इस शिलापट पर लिखे यह अक्षर भी अब मिटने लगे हैं। यह हालात तब हैं जबकि 1991 में स्व. गांधी की शहादत से उभरी सहानुभूति लहर ने कांग्रेस को केन्द्र में प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता दिलाई थी। अब भी केन्द्र सरकार कांग्रेस की ही है।

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