काशी विद्यापीठ ब्लाक, वाराणसी : इसे स्वत: स्र्फूत सकारात्मक जंग का नाम दे सकते हैं। कारण कि इधर से गुजरने वाले की नजर पड़ती और लोग कुछ देर ठहरकर स्थिति को समझते और जूझ पड़ते। यह सर्जनात्मक कार्य रोहनिया-बाईपास संपर्क मार्ग के नजदीक गांव हरिहरपुर में रविवार को शुरू हुआ। यहां के लोगों ने जलकुंभी में कैद तालाब को मुक्त कराने का बीड़ा उठाया। बड़ी खासियत यह थी कि इसकी अगुवाई ग्राम प्रधान लल्ली देवी कर रहीं थी, साथ में थे पति और गांव के लोग। सफाई शुरू होते ही लोगों की संख्या बढ़ने लगी और तालाब से बाहर होने लगी जलकुंभी। यूं तो देखने में यह काम बड़ा मुश्किल लग रहा था पर इसने नजीर का रूप लिया। यह नजीर इसलिए कि इस ओर से गुजरने वाले भी कुछ देर के लिए ठहरते, देखते और सराहना करते नहीं थकते। युवाओं का जोश भी उफान पर था और वे बगैर थके अपने लक्ष्य को पाने में जुटे थे। ग्रामप्रधान लल्ली देवी व उनके पति निखिद्दी राजभर कहते हैं कि गांव वालों से तालाब की सफाई का प्रस्ताव किया। इस प्रस्ताव ने मंत्र सा काम किया और लोग जूझ पड़े जलकुंभी के खिलाफ। आदर्श जलाशय योजना के तहत वर्ष 2006-07 में एक लाख रुपये की अधिक की लागत से तालाब की खोदाई, जीर्णोद्धार, घाट, सीढ़ी, आदि का निर्माण कराया गया मगर कुछ दिनों के बाद इस तालाब की पहचान को जलकुंभी व कीचड़ ने ढक लिया। ग्रामीणों ने श्रमदान से अपने गांव के तालाब को नया कलेवर देने का जज्बा बना लिया है। अब इस जज्बे में शामिल है तालाब को मॉडल के पैमाने पर खड़ा करना। ग्राम प्रधान कहती हैं कि बढ़े कदम पीछे नहीं हटेंगे। श्रमदान की यह मुहिम तब तक चलती रहेगी जब तक अपने गांव के इस तालाब के नीर को स्वच्छ लबालब नहीं कर लेंगे।
Wednesday, 26 January 2011
तालाब आजादी की ओर
वाह ! यह तो कमाल हो गया
वाराणसी, मंगलवार को उजाला होने के बाद जो भी पांडेयपुर-भोजूबीर मार्ग से गुजर रहा था उसकी निगाहें मानसिक अस्पताल से सटे उस तालाब पर टिक जा रही थी जिसे पाटने की कुछ लोगों ने कोशिश की थी। इस जगह को तालाब के मूल स्वरूप में लाने के लिए मजदूर मिट्टी निकालकर ट्रैक्टर ट्राली पर लाद रहे थे। देखने वालों के जुबां से बरबस निकल रहा था वाह! यह तो कमाल हो गया। इसे कहते हैं प्रशासन की हनक का असर। पांडेयपुर तालाब से दिनभर में ट्रैक्टर ट्रालियों ने मिट्टी लादकर अन्यत्र ले जाया जा रहा था। इस काम में लगे लोगों ने बताया कि मिट्टी पूरी तरह निकाली जा चुकी है। अब नीचे दबा कचरा निकाला जाएगा। नगर निगम के अधिशासी अभियंता केपी सिंह के मुताबिक तहसील व निगम के राजस्व कर्मियों के साथ तीस जनवरी को तालाब की पैमाइश की जाएगी। तालाब की जमीन पर बनी दुकान व गैराज ध्वस्त करने के लिए विकास प्राधिकरण से पत्राचार किया गया है। ध्वस्तीकरण के लिए मंडलायुक्त ने सोमवार को निर्देश दिया है। पैमाइश व अवैध निर्माण ध्वस्त करने के बाद तालाब की हदबंदी के लिए पिलर व कंटीला तार लगवाया जाएगा
जगा प्रशासन, मौके पर पहुंचा अमला
अमला सो रहा, तालाब पट रहा
Sunday, 23 January 2011
काशी में गंगा तो हैं पर वो बात नहीं !
Friday, 21 January 2011
Thursday, 20 January 2011
गंगा में प्रदूषण पर हाइकोर्ट नाराज
Thursday, 6 January 2011
हर दिल जोड़ लेंगे पानी बचाने के वास्ते
बनारस के जल कुंड में जहरीली काई
सदियों से हिंदू समाज में यह मान्यता है कि काशी के कुंडों में स्नान या जल के ग्रहण करने से मुक्ति मिलती है। लेकिन अब इन कुंडों का पानी ग्रहण करने से मुक्ति तो नहीं अलबत्ता शारीरिक रोगों के जरूर शिकार हो सकते हैं। इस बारे में बीएचयू के बायोटेक्नॉलजी ने एक रिसर्च पेपर में कुंडों के जहरीले हो चुके पानी का उल्लेख करते हुए कहा गया कि माइक्रो सिस्टिस काई से माइक्रो सिस्टन नामक जहरीले तत्वों का उत्सर्जन हो रहा है।
रिसर्च में बताया गया है कि वाराणसी के एक दर्जन प्रसिद्घ कुंडों में माइक्रो सिस्टिस नामक काई के कारण जलीय जीव-जंतु का जीवन भी खतरे में है। इस जल के सेवन से जहां लीवर एवं किडनी पर घातक असर पड़ सकता है वहीं स्नान से त्वचा को भी नुकसान हो सकता है। रिसर्च में बताया गया कि डब्ल्यूएचओ ने जल में एक माइक्रोग्राम तक माइक्रो सिस्टन को सुरक्षित माना है लेकिन यहां के कुंडों में इसकी मात्रा काफी अधिक है। जो लोगों के शरीर पर बुरा प्रभाव डाल सकता है।
इस तथ्य का खुलासा होते ही यूनिवर्सिटी ने इस बारे में वाराणसी जिला प्रशासन को इस बारे में अवगत कराते हुए चिह्नित कुंडों में स्नान-जल ग्रहण पर तुरंत प्रतिबंध लगाने को कहा है। ताकि लोगों को इन कुंडों के विषैले जल के दुष्प्रभाव से बचाया जा सके। साथ ही सुझाव दिया गया है कि कुंडों की पूरी तरह साफ-सफाई कराई जाए जिससे इसमें पनप रहे माइक्रो सिस्टिस जैसे जहरीले काई को समाप्त कर इनके जल को स्वच्छ रखा जा सके