Thursday, 5 April 2012
11 नदियां तो धरा से ही विलुप्त हो चुकी हैं और पांच सूख गई हैं।
भागीरथी, धौलीगंगा, ऋषिगंगा, बालगंगा, भिलंगना, टोंस, नंदाकिनी, मंदाकिनी, अलकनंदा, केदारगंगा, दुग्धगंगा, हेमगंगा, हनुमानगंगा, कंचनगंगा, धेनुगंगा आदि ये वो नदियां हैं जो गंगा की मूल धारा को जल देती हैं या देती थीं। देती थीं इसलिए कहना पड़ रहा है कि गंगा को हरिद्वार में आने से पहले 27 प्रमुख नदियां पानी देती थीं। जिसमें से 11 नदियां तो धरा से ही विलुप्त हो चुकी हैं और पांच सूख गई हैं। और ग्यारह के जलस्तर में भी काफी कमी हो गई है। यह हाल है देवभूमि उत्तराखंड में गंगा और गंगा के परिवार की। नदी निनाद कर बहती है। उसके तीव्र वेग के कारण ही वह नदी कहलाती है। यदि किसी धारा में कलकल और उज्जवल जल नहीं तो वह उत्तराखंड में गधेरा कहा जाता है उसको नदी का दर्जा प्राप्त नहीं होता। ‘रन ऑफ द रिवर’ प्रोजेक्ट के सोच पर आधारित सैकड़ों बांध नदियों को नदी के बजाय गधेरे बनाने में लगे हुए हैं। नदियों को मोड़-मोड़ करके बार-बार सुरंगों में और झीलों में प्रवाहित किये जाने के कारण नदियों की जलगुणवत्ता काफी खराब होने लगी है।
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