रफ्तार टूटने के बाद गंगा में घटाव तेज हो गया है। चौबीस घंटे के दौरान जलस्तर में चार फुट की गिरावट दर्ज की गई। उधर, वरुणा की भी धारा शांत पड़ गई। पानी घटने के बाद दूसरी जगहों पर शरण लिए लोग बीवी-बच्चों के साथ अपने घरों को लौटने तो लगे लेकिन सीलन और बदबू से वहां बीमारी फैलने की आशंका है। दाने-दाने की तो मोहताजी हुई ही, शुद्ध पानी का टोटा पड़ जाने से मुश्किलें बढ़ गई हैं। गुरुवार को नक्खी घाट, हिदायतनगर और सरैया के बाढ़ पीडि़तों का कहना था कि पहले प्रशासन को बस्तियों में सफाई कराने के साथ ही टैंकरों से पेयजल की आपूर्ति शुरू करानी चाहिए। ऐसा नहीं हुआ तो हालात और बदतर हो जाएंगे। वरुणा में घटाव के बाद नक्खीघाट, सरैया, हिदायतनगर, सिधवाघाट, कोनिया में घरों में लगा पानी निकलने लगा है। कुछ घरों से पानी निकला भी तो वहां तक पहुंचने का रास्ता नहीं रह गया है। फिर भी रिश्तेदारों या परिचितों के यहां शरण लिए लोग बीवी-बच्चों के साथ पानी से होकर अपने घरों की ओर लौटने लगे हैं। पानी कम होने के बाद अब बस्तियों में कचरा सड़ने और कीचड़ फैलने से स्थिति नारकीय हो गई। बदबू से वहां बीमारी भी फैल सकती है। फिलहाल प्रशासन की ओर से अभी बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत के कदम नहीं उठाए गए हैं। न दवा की आपूर्ति हो रही है और न सफाई के इंतजाम ही किए गए हैं। सबसे अधिक परेशानी पेयजल को लेकर है। हैंडपंप खराब होने से लोग पानी के लिए कलप रहे हैं। जिनके यहां बोरिंग है, वहां बाढ़ पीडि़त परिवारों की लाइन लग रही है। कुछ लोग दूसरे मोहल्लों से पानी ढोने के लिए मजबूर हैं। नक्खी घाट के इबादत, शहादत, आफताब बानो, मुस्ताक, इकबाल, इम्तियाज और झुन्नू ने कर्ज लेकर करघे लगाए थे, जो बाढ़ के पानी में डूबकर नष्ट हो गए। ऐसे में वे कर्ज टूटने की चिंता से तो परेशान हैं ही, दाने-दाने की मोहजाती भी हो गई है। किसी तरह उधार लेकर गृहस्थी की गाड़ी चल रही है। सामाजिक संस्था विजन की निदेशक जागृति ने गुरुवार को अपनी टीम के साथ प्रभावित इलाके की जानकारी ली। उन्होंने बस्तियों में दवा, टैंकर से पानी की आपूर्ति के अलावा सफाई कराने की मांग की है।
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http://compact.amarujala.com/
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