Sunday, 15 April 2012
कुछ तो शर्म करो वरुणा में अपशिष्ट डालने वालों
वाराणसी : सरायमोहना में जाकर गंगा की गोद में समाने वाली वरुणा नदी नगर निगम की व जिला प्रशासन की लापरवाही से अपना धर्म भ्रष्ट होते देखकर अब मानों खामोश हो गई है। अब नदी का ठहरा पानी मानों कहता है कि कुछ तो शर्म करो मेरे ऊपर जानवरों का अपशिष्ट डालने वालों, मेरा तो धर्म भ्रष्ट हो ही रहा है, गंगा को तो बख्श दो क्योंकि मैं आगे जाकर उनमें ही समाती हूं। वरुणा नदी इन दिनों नगर निगम के चलते अवैध स्लाटर हाउस संचालकों व चिकेन-मीट विक्रेताओं के लिए कूड़ादान बन गई है। मुर्गे-बकरे का अपशिष्ट धड़ल्ले से नदी में सुबह-शाम डाला जा रहा है। ढेलवरिया, चौकाघाट, हुकुलगंज आदि क्षेत्रों में अवैध रूप से चल रहे स्लाटर हाउसों के संचालक भी मृत पशुओं का अवशेष व रक्त नदी में बेरोकटोक डाल रहे हैं। वरुणापुल पर अगर आपमें हिम्मत है पांच मिनट खड़े होने की तो जानवरों के अपशिष्ट नदी में उतराये दिख जांएगे। अपशिष्ट व नदी के किनारे कूड़ा डालने के चलते उठती दुर्गध से लोगों का पुल से गुजरना मुहाल हो गया है। वाहन सवार सांस रोककर अपनी जान जोखिम में डाल अस्सी की स्पीड से भागते हैं। राहगीरों के लिए तो पुल पार करना किसी भयावह स्वप्न से कम नहीं। नगर निगम की व्यवस्था दोषी एडीएम सिटी एमपी सिंह कहते हैं कि नदी की बदतर स्थिति के लिए नगर निगम पूरी तरह दोषी है। निगम के अधिकारी लाइसेंस तो जारी कर देते हैं लेकिन मृत जानवरों के अवशेष व अपशिष्ट को निस्तारित करने के लिए मुकम्मल स्थान नहीं देते। जिला प्रशासन स्लाटर हाउस संचालकों पर लगाम कस रहा है लेकिन नगर निगम की कार्यप्रणाली के आगे हम भी बेबस हैं।
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