Saturday 26 February, 2011

आयुक्त के अरमान पर माफियाओं की मिट्टी

वाराणसी, शिवनगरी काशी का दो नदियों वरुणा और अस्सी के नाम पर वाराणसी नामकरण हुआ। भू माफिया शहर की पहचान बताने वाली अस्सी नदी को तो पाटकर नाला बना चुके हैं, अब वरुणा नदी को भी नाला बनाने के लिए उसे जोरशोर से पाटा जा रहा है। आलम यह है कि कब्जा करने के लिए पानी में भवन का पिलर तक खड़ा कर दिया है। यहीं नहीं शहर के एक से बढ़कर एक मानिंद उस क्षेत्र में जमीन खरीदकर प्लाटिंग व बहुमंजिली इमारत तानने के लिए दाम लगा चुके है। नदी किनारे की जमीन का दाम वर्तमान में 20 से 25 लाख रुपये प्रति बिस्वा चल रहा है। हैरत की बात यह है कि भू माफिया नदी की जमीन का अपने नाम से कागजात भी खरीदार को उपलब्ध कराने का दावा कर रहे है। वरुणा नदी के सुंदरीकरण को लेकर मंडलायुक्त अजय कुमार उपाध्याय ने ड्रीम प्रोजेक्ट तैयार कराया था। उस दिशा में विभागीय स्तर पर तहसील प्रशासन की ओर से सिर्फ नपाई का कार्य शुरू हुआ। आदेश जारी हुआ कि नदी के मध्य से दोनों ओर डेढ़-डेढ़ सौ मीटर दूर तक कोई निर्माण नहीं होगा। यदि कोई ऐसा करता है तो उसे अवैध माना जाएगा। उसके बाद अफसर मौन धारण कर बैठ गए और भू माफियाओं की जेसीबी नदी के मुहाने तक पहुंच गई। दिन-रात काम लगाकर नदी को पाटने के लिए उसमें मिट्टी, ईटा-पत्थर व कूड़ा फेंका जा रहा है। छावनी क्षेत्र स्थित बुद्ध विहार कॉलोनी के पिछले हिस्से में नदी के किनारे दस बिस्वा से अधिक नदी की जमीन बीस फीट ऊपर तक पाट दी गई है। वहां से यदि आप छलांग लगाएंगे तो सीधे नदी में गिरेंगे। इसी स्थान से चंद कदम दूरी पर कभी संयुक्त शिक्षा निदेशक व जिला विद्यालय निरीक्षक का दफ्तर हुआ करता था। वहां से थोड़ी ही दूरी पर नदी के तट पर पेड़-पौधों व प्लास्टिक की चादर की आड़ में चार मंजिला इमारत तन रही है। दरअसल नदी के किनारों की जमीन में हाल के वर्षो में बेतहाशा वृद्धि हुई है। इसे देखते हुए भू माफियाओं ने पहले किनारों की जमीन खरीदी। उसे बेचने के बाद देखा कि डिमांड बढ़ती जा रही है तो नदी को ही पाटना शुरू कर दिया। चौकाघाट से लेकर डीएम आवास के पिछले हिस्से यानि इमिलिया घाट तक नदी के किनारे भू माफिया धड़ल्ले से मिट्टी डाल उसे पाट रहे हैं। इस काम में सीवर खोदाई में लगी कार्यदाई एजेंसी भी खूब साथ दे रही है। ठेकेदार सड़क खोदाई के दौरान निकली मिट्टी नदी के किनारे डाल रहे हैं। पिछले दिनों मानसिक अस्पताल के समीप स्थित तालाब को सड़क खोदाई से निकली मिट्टी से पाटने का मामला भी आयुक्त ने निरीक्षण के दौरान पकड़ा था। वीडीए, नगर निगम या फिर तहसील के अधिकारियों से लगायत कर्मचारियों तक को वरुणा को पाटे जाने की जानकारी है फिर भी वे मौन हैं। ऐसे में वरुणा की दशा कैसे सुधरेगी, मंडलायुक्त का वरुणा को लेकर ड्रीम प्रोजेक्ट कैसे आकार लेगा, यह समझा जा सकता है

No comments: