Wednesday, 23 March 2011
.................तो क्या सूख जाएंगी गंगा ?
देवि सुरेश्वरी भगवती गंगे, त्रिभुवन तारिणी तरल तरंगे। आदि शंकराचार्य द्वारा रचित यह पंक्तियां यह बताने के लिए पर्याप्त हैं गंगा का पृथ्वी पर अवतरण विश्व को तारने व जन्म जन्मांतर के बंधनों से मुक्ति दिलाने के लिए हुआ था। इसी वजह से वह देव नदी कहलाई। यह देव नदी अब सूखने के कगार पर है। कम से कम पूर्वाचल के हालात तो यही हैं। पूर्वाचल की शुरुआत से लेकर अंत तक गंगा का जलस्तर हर स्थान पर लगातार तेजी से घट रहा है। अकेले वाराणसी में गंगा के स्तर में एक साल में ढाई फीट से अधिक की कमी आ चुकी है। जल स्तर घटने की यह रफ्तार हर साल बढ़ती जा रही है। गंगा का पृथ्वी पर अवतरण दैवीय उद्देश्यों के लिए हुआ था। इसके जल को अमृत मान कर काफी विवेक से इस्तेमाल की परंपरा रही है। अब स्थिति बदल गई है। इस समय इसका उपयोग किसी आम जल की तरह बिजली बनाने व सिंचाई करने में ही हो रहा है। टिहरी समेत दर्जनों बड़े छोटे बांध हर स्तर पर इसके प्रवाह को रोके पड़े हैं। बांधों से बने सरोवरों में इसकी समस्त जलराशि रुक जाने के चलते मैदानी ही नहीं अधिकांश पहाड़ी इलाकों में इसमें पानी की खासी किल्लत हो गई है। कभी साल भर पूरे पाट बहने वाली यह नदी अब बारिश में भी अपने पाट के दोनों किनारे नहीं छू पा रही है। खुद केन्द्रीय जल आयोग के आंकड़ों की मानें तो गंगा के जल स्तर में हर साल गिरावट आ रही है। इतना ही नहीं, जलस्तर घटने की रफ्तार हर साल बढ़ती जा रही है। वर्ष 2009-10 में एक फीट तो 10-11 में दो से ढाई फीट तक जलस्तर गिर गया। पूर्वाचल के मुहाने पर स्थित इलाहाबाद का उदाहरण लें तो यहां फाफामऊ में गंगा का जलस्तर 15 मार्च 2009 में 76.290 मीटर था। 2010 में 15 मार्च को यह जलस्तर 76.180 मीटर रह गया। इलाहाबाद में यमुना से मिलने के बाद भी गंगा की स्थिति में कोई विशेष बदलाव नहीं आ रहा है। इलाहाबाद स्थित छतनाग में 15 मार्च वर्ष 2009 में 71.400 मीटर जल था। 15 मार्च 2010 को यह घट कर 71.065 रह गया। वाराणसी के राजघाट से लेकर गाजीपुर तक घटने की यह रफ्तार इसी गति से जारी है। केन्द्रीय जल आयोग के आंकड़ों के अनुसार गाजीपुर में 15 मार्च 2009 को 52.425 मीटर जल था। 15 मार्च 2010 को यह घट कर 51.840 रह गया। विशेषज्ञों की माने तो यही स्थिति रही तो वह दिन दूर नहीं जब गंगा नदारद हो जाएंगी। गंगा का जलस्तर गोपनीय! करोड़ों की श्रद्धा का केन्द्र मां गंगा के साथ खासा खिलवाड़ किया जा रहा है। इसमें कोई व्यवधान न खड़ा हो, इसके लिए सभी संभव सावधानियां बरती जा रही हैं। मां गंगा में कितना जल है, यह भी सीधे नहीं जाना जा सकता। केन्द्रीय जल आयोग के अधिकारियों की माने तो यह अति गोपनीय है। बाढ़ के समय केन्द्र सरकार के आदेश पर ही जलस्तर सार्वजनिक किया जाता है। अन्य मौसम में यह नहीं बताया जा सकता। वैसे इस गोपनीयता के बीच आंकड़ों के साथ कितना खिलवाड़ हो रहा होगा, अंदाजा लगाया जा सकता है। केन्द्रीय जल मंत्री के आने की सूचना मिलने के बाद लिए गए जल स्तर के आंकड़े इस बात की खुद गवाही दे रहे हैं। अचानक इलाहाबाद तक के सभी स्थानों पर जलस्तर पिछले साल की तुलना में बढ़ गया जबकि वाराणसी में मंत्री के आने की तिथि निर्धारित न होने के चलते ऐसा नहीं हुआ।
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