Tuesday, 22 March 2011

यह सच है कि जल ही जीवन

मंगलवार को विश्व जल दिवस है। हर साल यह दिन स्वच्छ पानी के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है। पानी के महत्व का अहसास प्यास लगने पर ही होता है। पानी का कोई विकल्प नहीं है। इसकी एक-एक बूंद अमृत है। दूसरी ओर शहरों की बढ़ती जनसंख्या ने पानी की समस्या को और भी विकराल कर दिया है। न्यूनतम 140 लीटर प्रति व्यक्ति पानी की जरूरत पड़ती है लेकिन एशिया में 25 फीसदी लोगों की न्यूनतम पानी की आवश्यकता की भी पूर्ति नहीं हो पाती है। कंक्रीट के जंगल (शहरीकरण) में पानी जमीन के अंदर न जाकर बह जाता है। रास्ते में यह अपने साथ हमारे द्वारा बिखेरे खतरनाक रसायनों, तेल, ग्रीस, कीटनाशकों एवं उर्वरकों जैसे कई प्रदूषक तत्वों को ले जाकर पूरे जलFोत को प्रदूषित कर देता है। इसलिए संभव हो तो छिद्रित फर्श बनाए जा सकते हैं।

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