Sunday, 20 May 2012

गंगा-वरुणा वाटर ट्रांसपोर्ट, रिंग रोड के साथ मोनो रेल





Story Update : Monday, March 26, 2012    1:11 AM

जाम से जूझ रहे शहरियों के लिए फिर एक सपना दुरुस्त यातायात का
वाराणसी। जाम की समस्या से जूझ रहे इस शहर को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने फिर से कुछ सपने दिखाए हैं। यह सपना साकार कैसे हो इस पर मंथन शुरू हो गया है। स्थानीय प्रशासन से लेकर नियोजक और ट्रांसपोर्ट विशेषज्ञ में से कोई वरुणा वाटर ट्रांसपोर्ट तो कोई रिंग रोड योजना को अविलंब मूर्त रूप देने की बात कर रहा है। मोनो रेल प्रस्ताव की चर्चा भी शुरू हो गई है। इसे पुनर्जीवित करने में लगे हैं काशी हिंदू विश्वविद्यालय के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा.बृंद कुमार। उनकी मानें तो योजना मूर्त रूप ले ले तो एक झटके में जाम की समस्या में 60 फीसदी कमी आ जाएगी। 
डा. कुमार सितंबर 2011 में प्रदेश के प्रमुख सचिव के समक्ष यह प्रस्ताव रख चुके हैं जो जिले की करीब 30 लाख की आबादी पर आधारित है। उनका मानना है कि इस आबादी में से छह लाख फ्लोटिंग पापुलेशन है जो रोजाना एक से दूसरे छोर को आती-जाती है। इसके अलावा एक बड़ी संख्या देशी-विदेशी पर्यटकों की है। ऐसे में व्यस्ततम दिखती शहर की सड़कों के बीचों बीच आठ मीटर ऊंचाई वाले पिलर लगाते हुए मोनो रेल लाइन बिछाने से सड़क का यातायात बाधित नहीं होगा। मोनो रेल स्टेशन पर नीचे वाहनों के लिए व्यवस्थित पार्किगिं का स्थान नियत होगा। इस रेल लाइन का एक छोर बाबतपुर एयरपोर्ट तो दूसरा लंका होगा। रेल लाइन जिला मुख्यालय, सारनाथ, लहुराबीर, बेनियाबाग, गोदौलिया, सिगरा, रथयात्रा, भेलूपुर के अलावा चितईपुर को जोड़ने वाली होगी। इससे एयरपोर्ट से कचहरी की दूरी 15 मिनट तो लंका तक की दूरी आधे घंटे में पूरी हो सकेगी। मोनो रेल में अधिकतम चार बोगी लगेगी और हर बोगी में 50 यात्री यानी एक फेरे में दो सौ यात्री सफर कर सकेंगेे। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के रुख से डा. बृंदा प्रफुल्लित हैं। उन्हें लग रहा है कि उनकी मेहनत सफल होगी। बतादें कि मेट्रो रेल योजना 2005-2006 में ही चर्चा में आई थी पर उसी वक्त तत्कालीन मंडलायुक्त सीएन दुबे क ी अध्यक्षता वाली विशेषज्ञ टीम ने इसे काशी के मुनाफिक न पाते हुए खारिज कर दिया था। उसी दौरान तत्कालीन डीएम नितिन रमेश गोक र्ण ने मोनो रेल योजना का प्रस्ताव लाया पर उनके तबादले के बाद उस पर किसी ने तवज्जो नहंीं दिया। 
इसके अलावा विकास प्राधिकरण ने वरुणा पर करीब 170 करोड़ रुपये का वरुणा पायलट प्रोजेक्ट तैयार किया है। इस योजना को स्थानीय स्तर पर स्वीकृति प्रदान करने के साथ ही वीडीए ने चंद रोज पूर्व संपन्न वीडीए बोर्ड की बैठक में अपना अंशदान 17 करोड़ रुपये स्वीकृत भी कर दिया। अब इस योजना पर काम आगे बढ़ाने के लिए शेष धनराशि के लिए फाइल केंद्र सरकार को भेजी गई है। यह योजना न सिर्फ वरुणा को नया जीवनदान देगी। जाम को बहुत हद तक कम भी कर सकेगी। 

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