वाराणसी : अविरलता व निर्मलता के लिए सिर्फ गंगा तक ही बात सीमित नहीं है। इस धार्मिक नगरी की अन्य नदियों की बर्बादी के लिए आम नागरिक भी जिम्मेदार हैं। छोटी गैबी निवासी कपड़ा व्यवसायी मनीष तुलस्यान ने कहा कि जो नदियां बची हैं उनकी हमें अपने स्तर से रक्षा करनी होगी। गौरीगंज के होटल व्यवसायी इमरान अहमद साफ तौर पर कहते हैं कि नदियों में प्लास्टिक, कूड़ा, कचरा डालने के साथ पशुओं को नहलाने का काम हम करते हैं। नागरिक सुरक्षा के पूर्व अधिकारी नदेसर के धीरेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि गंगा व वरुणा में बह रही गंदगी से काशीवासियों का सिर शर्म से झुक जा रहा है। लल्लापुरा के नजीर अहमद आजमी का कहना है कि यहां की नदियों की अविरलता के लिए हर कुर्बानी के लिए तैयार होना पडे़गा। मदनपुरा के अब्दुल रहमान (ताजबाबा) ने कहा नदियों को मजहब के चश्में से नहीं देखना चाहिए। सोनारपुरा के बीपी त्रिपाठी, ब्रदर एसपी सिंह, डॉ. काजी मोहम्मद शाहिद व शकील अहमद ने कहा कि जो नदियां बची हैं अगर उन पर ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाली पीढ़ी हमें माफ नहीं करेंगी।
No comments:
Post a Comment