कभी श्रीकृष्ण की मुरली के स्वर-अमृत प्राप्त करने वाली यमुना आज कितनी जहरीली हो चुकी है, वैसे तो इसके लिए दिल्ली में उसे देखना ही काफी है जब कुछ क्षणों के बाद आप वितृष्णा से अपनी दृष्टि फेरने को विवश हो जाते हैं, लेकिन एक डरावना सच सामने आया है दिल्ली मेट्रो के सौजन्य से | दिल्ली मेट्रो के अधिकारीयों का कहना है कि जो मेट्रो रेल रोज यमुना के ऊपर से गुजरती हैं, यमुना से निकलने वाली जहरीली गैसों से उन रेलों के वातानुकूलित यन्त्र खराब हो रहे हैं |
द्वारका-नॉएडा सिटी सेंटर ब्लू लाइन पर चलने वाली रेलों के ३५० कोच के एसी बदले जा चुके हैं और दिलशाद गार्डन - रिठाला रेड लाइन की रेलों के १०० कोचों के एसी बदले जा चुके हैं | ऐसा इसलिए हो रहा है कि यमुना से निकलने वाली जहरीली गैसों से एसी के कंडेंसर पर जमी कोटिंग हट जाती है और गैस लीक होने लगता है |
अब सोचने वाली बात ये है कि केवल यमुना पर से गुजर जाने भर से महंगे यन्त्र खराब हो रहे हैं और इतनी जहरीली नदी का पानी पीने से लोगों के शरीरों का क्या हो रहा होगा | वैज्ञानिकों का मानना है कि यमुना के पानी में ओक्सीजन बचा ही नहीं है - केवल मल है और जहरीले रसायन हैं | यहाँ तक कि उस पानी में मछलियाँ भी जीवित नहीं रह सकती | यमुना के जहर में अमोनिया और हाईड्रोजन सल्फाईड आदि शामिल है | इन सब जहर से श्वसन तंत्र खराब होता है |
भगवान् ने तो जल को मानव के लिए अमृत बना कर भेजा था, पर १०० साल के आधुनिकीकरण में मानव ने उसे जहर में बदल दिया है | जितना प्रदूषण हजारों सालों में नहीं हुआ, गत ५०-६० सालों में ही यमुना, गंगा समेत सभी जीवनदायिनी नदियों को जहर की नदी बना दिया गया |
द्वारका-नॉएडा सिटी सेंटर ब्लू लाइन पर चलने वाली रेलों के ३५० कोच के एसी बदले जा चुके हैं और दिलशाद गार्डन - रिठाला रेड लाइन की रेलों के १०० कोचों के एसी बदले जा चुके हैं | ऐसा इसलिए हो रहा है कि यमुना से निकलने वाली जहरीली गैसों से एसी के कंडेंसर पर जमी कोटिंग हट जाती है और गैस लीक होने लगता है |
अब सोचने वाली बात ये है कि केवल यमुना पर से गुजर जाने भर से महंगे यन्त्र खराब हो रहे हैं और इतनी जहरीली नदी का पानी पीने से लोगों के शरीरों का क्या हो रहा होगा | वैज्ञानिकों का मानना है कि यमुना के पानी में ओक्सीजन बचा ही नहीं है - केवल मल है और जहरीले रसायन हैं | यहाँ तक कि उस पानी में मछलियाँ भी जीवित नहीं रह सकती | यमुना के जहर में अमोनिया और हाईड्रोजन सल्फाईड आदि शामिल है | इन सब जहर से श्वसन तंत्र खराब होता है |
भगवान् ने तो जल को मानव के लिए अमृत बना कर भेजा था, पर १०० साल के आधुनिकीकरण में मानव ने उसे जहर में बदल दिया है | जितना प्रदूषण हजारों सालों में नहीं हुआ, गत ५०-६० सालों में ही यमुना, गंगा समेत सभी जीवनदायिनी नदियों को जहर की नदी बना दिया गया |
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