बनारस में पानी सवा मीटर अन्दर सरका
वाराणसी : शहर का भूमिगत जलस्तर फिर हमारी पहुंच से औसतन सवा मीटर और दूर हो गया लेकिन इससे भी ज्यादा गंभीर मसला यह है कि भूमिगत जल संग्रह और दोहन के बीच का अंतर बढ़ता जा रहा है।
भूगर्भ जल विभाग की ताजा सर्वे रिपोर्ट कहती है कि वर्ष 2008 में बरसात के पूर्व शहरी क्षेत्र का भूमिगत जलस्तर जहां औसतन 19 से 22 मीटर के बीच था और गिरावट एक मीटर के आसपास थी, वहीं वर्ष 2009 में जलस्तर में गिरावट 1.25 से 1.35 के बीच दर्ज किया गया। ये आंकड़े बता रहे हैं कि शहरी क्षेत्र में भूमिगत जल संग्रह के अनुपात में दोहन की प्रक्रिया बढ़ती जा रही है, जो सर्वाधिक खतरे का संकेत है। भूगर्भ जल विभाग के ही विशेषज्ञों का कहना है कि धरातल से भूगर्भ जल पांच से दस मीटर होना चाहिए। इसके बाद खतरे की सीमा शुरू हो जाती है और 15 मीटर के बाद तो गंभीर खतरे की नौबत आ जाती है लेकिन यहां शहर में तो कई इलाकों का भूमिगत जल 24 मीटर से भी नीचे जा पहुंचा है। शहर से जुड़े सारनाथ, सर्किटहाउस क्षेत्र, सुंदरपुर, महेशपुर, फुलवरिया, केशरीपुर, जगतपुर, हरदत्तपुर का ग्राउंड वॉटर 2008 में 21 से 23 मीटर के आसपास था, जो वर्ष 2009 में 24 मीटर के भी नीचे जा चुका है। वहीं नगवां, नरिया, रमना, सदर तहसील, पांडेयपुर पिसनहरिया, सेंट्रल जेल, आशापुर, तरना, होलापुर, भट्ठी, डाफी आदि इलाकों में विगत वर्ष औसतन 19 मीटर था लेकिन पिछले वर्ष 22 मीटर के नीचे आंका गया। शहर व आसपास के शेष इलाकों का भी जल स्तर 18 मीटर के ही नीचे है। इसे देखते हुए जलस्तर बढ़ाए जाने की दिशा में ठोस पहल के साथ ही इस्तेमाल से ज्यादा बर्बाद करने वाली प्रवृत्ति पर अंकुश नहीं लगाया गया तो आनेवाले दिनों में स्थिति काफी भयावह होगी। ट्यूबवेल और हैंडपंप की बोरिंग के धंधे से जुड़े लोगों का कहना है कि एक तरफ साल दर साल वर्षा कम होती जा रही है तो दूसरी तरफ ग्राउंड वॉटर रिचार्ज के अब तक के सारे उपाय विफल ही साबित हुए। इसके ठीक विपरीत शहर की आबादी बढ़ने से भूमिगत जल का दोहन दूनी गति से बढ़ता जा रहा है। खतरा इसलिए भी बढ़ता जा रहा है कि वॉटर रिचार्ज करने वाले तालाब, कुंड पाट दिए गए और कच्ची जमीन कंक्रीट की सड़क का रूप लेती जा रही है। इसके अलावा नदियों का पानी भी जगह-जगह बांध दिया जा रहा है। इससे हम चौतरफा खतरों से घिरते जा रहे हैं। ऊपर से नदियों का जलस्तर गिरने से जहां भूमिगत जल के रिसाव की गति नदियों की तरफ बढ़ती जा रही है वहीं शहर का भूमिगत पोलापन भी बढ़ता जा रहा है जो बड़े खतरे का संकेत है। सूखते कुएं, जवाब देते हैंडपंप, रीबोर की जरूरत महसूस कर रहे ट्यूबवेल इस बात के संकेत हैं कि शहर तो शहर ग्रामीण क्षेत्र भी इसकी जद में आते जा रहे हैं। जिले के पांच ब्लाकों (हरहुआ, काशी विद्यापीठ, आराजीलाइन, सेवापुरी और चोलापुर) का भी जलस्तर औसतन 17 मीटर नीचे जा पहुंचा है।
Written by पूर्वांचल न्यूज़ ब्यूरो Thursday, 25 February 2010 18:08
No comments:
Post a Comment