Source: विजय विनीत वाराणसी/ हिन्दुस्तान/ 02-02-10
सूखा और बड़े पैमाने पर जल दोहन से जिले में स्थिति विस्फोटक होती जा रही है। भूगर्भ जल विभाग के आंकड़े दर्शाते हैं कि कई इलाकों में एक साल में जलस्नोत 4 से 6 मीटर खिसक गया है। सर्वेक्षकों के मुताबिक वाटर रीचार्जिंग के लिए अभियान नहीं चलाया गया तो स्थिति बेहद गंभीर हो जाएगी। ग्रामीण इलाकों में स्थिति थोड़ी ठीक है, लेकिन शहरी इलाकों में चिंताजनक हो गई है।
अराजी लाइन ब्लाक के करौना गांव में जलस्रोत सबसे नीचे है। यहां 24.95 मीटर पर ही पानी मिल सकता है। जंसा बाजार में भूजल स्तर 23.52 मीटर पर जबकि भाऊपुर और काशीपुर में तो भूजल सूख चुका है। काशी विद्यापीठ ब्लाक में भट्ठी, काशी विद्यापीठ और रमना में भूजल स्तर सूखता जा रहा है। पिंडरा ब्लाक के मंगारी बाजार व फूलपुर ड्राई क्षेत्र घोषित किए जा चुके हैं।
एक नजर : भूगर्भ जल का स्तर (मीटर में) | ||
क्षेत्र | नवंबर 08 | नवंबर 09 |
भरलाई | 16.62 | 21.80 |
शिवपुर | 15.70 | 20.60 |
तरना | 16.60 | 22.00 |
होलापुर | 16.45 | 21.25 |
डाफी | 17.85 | 21.45 |
जगतपुर | 10.20 | 23.50 |
जयनारायण इंटर कालेज | 8.00 | 12.10 |
सुंदरपुर | 16.85 | 21.35 |
महेशपुर | 18.55 | 24.00 |
टिकरी | 12.55 | 17.60 |
रमना | 11.60 | 16.00 |
विसोखर | 15.20 | 20.50 |
केसरीपुर | 14.10 | 19.95 |
हरदत्तपुर | 16.65 | 23.30 |
हरहुआ ब्लाक में बेलवा बाबा, मुर्दहा बाजार, पलही पट्टी, चाका, वाजिदपुर, गुरवट राजापट्टी, बीरा पट्टी में भूजल स्तर सूख चुका है। चिरईगांव ब्लाक में सारनाथ (गंजगांव) और गोपालपुर, सेवापुरी ब्लाक में बाराडीह और चोलापुर में बजरापुर में स्थिति गंभीर होती जा रही है। शहरी क्षेत्र में भी स्थिति विस्फोटक है। कई क्षेत्रों में भूगर्भ जल 20 से 25 मीटर तक नीचे पहुंच गया है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
वाराणसी। भूगर्भ विभाग के सीनियर हाइड्रो जीओलाजिस्ट शब्दस्वरूप निगम की सर्वे रिपोर्ट पर यकीन किया जाए तो वर्ष 1980 से अब तक भूगर्भ जल 7 से 9 मीटर नीचे चला गया है। आने वाले दिनों में लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस जाएंगे। उन्होंने बताया कि वर्षा के बाद पानी सबसे ऊपर होता है और वर्षा शुरू होने से पहले नीचे चला जाता है। सामान्य बारिश पर पर्याप्त पानी मिल जाता है। पिछले साल सूखे के चलते बारिश कम हुई जिससे जल स्तर पांच से दस फुट नीचे चला गया है।
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समाधान रोकी जाए पानी की बर्बादी;गर्मी आने से पहले नलों की हो मरम्मत; रेन वाटर हार्वेस्टिंग की हो व्यवस्था; टपक सिंचाई का संयंत्र लगाया जाए
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