Sunday, 19 September 2010

वरुणा नदी खतरे में है

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वाराणसी। उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी वाराणसी में अस्सी के बाद पौराणिक और ऐतिहासिक वरुणा नदी का भी अस्तित्व अब खतरे में पड़ गया है।
अस्सी नदी को पाट दिया गया है और उसके जलग्रहण क्षेत्र तक में मकान बन गए हैं। यह अब एक गंदे नाले के रूप में परिवर्तित होकर रह गई है। अब वरुणा नदी के साथ भी यही हो रहा है। इसके आसपास लोगों की मनमानी जारी है। कहीं कूड़ा फेंका जा रहा है तो कहीं नवविकसित कॉलोनियों का गंदा पानी सीधे नदी में गिर रहा है। नगर निगम ने तो वरुणा के तट को कूड़ाघर बना डाला है।
कभी वरुणा में निर्मल धारा बहती थी। साधु-संत और अन्य इस पवित्र जल का उपयोग पीने के लिए करते थे। नदी के दोनों तटों पर संतों के आश्रम बने थे और वहां वह धूनी रमाते थे, लेकिन आज गंदा पानी भरा पड़ा है।
वरुणा नदी वाराणसी शहर के मध्य से होकर गुजरती है। एक तरफ पुराना तो दूसरी तरफ नया शहर बसा है। वरुणा पर बने तीन पुलों से मंत्रियों और बडे़ अधिकारियों की गाड़ियां गुजरती हैं, लेकिन इस तरफ किसी की निगाह नहीं पड़ती कि नदी के तटों पर लगातार कूड़ा गिराया जा रहा है जो नदी में जा रहा है।
विगत कुछ वर्षों में नदी के तट पर नई बस्तियां उभर कर आई हैं। सीवर होने के कारण घरों का गंदा पानी सीधे इसमें डाला जा रहा है।
सबसे बड़ी बात यह कि इस पौराणिक और ऐतिहासिक नदी के अस्तित्व को बचाने के लिए प्रशासनिक अमला चिंतित नहीं है।

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