Sunday, 11 March 2012

स्वामी सानंद ने ठुकराया मान जाने का अनुरोध


वाराणसी, संवाददाता : गंगा की निर्मलता-अविरलता की मांग को लेकर स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद की निर्जल तपस्या शनिवार को दूसरे दिन भी जारी रही। सुबह से ही सरकारी और गैर सरकारी चिकित्सकों की टीम तपस्या स्थल पर डटी रही और स्वामी जी के स्वास्थ्य का परीक्षण करती रही। बताया गया कि स्वामी जी का स्वास्थ्य फिलहाल ठीक है। वैसे उनके निजी सेवक बीच-बीच में गीले तौलिए से उनके सिर को पोछते रहे। स्वामी सानंद भी जरूरत पड़ने पर ही बोलते दिखे अन्यथा पूरा समय भागवत कथा श्रवण में व्यतीत किया। शनिवार की शाम जिलाधिकारी रवींद्र भी तपस्या स्थल पर पहुंचे और स्वामी जी से तपस्या का संकल्प त्यागने का आग्रह करते हुए कहा कि यह मुद्दा केंद्र सरकार से संदर्भित है लिहाजा तत्काल समाधान संभव नहीं हैं। इसके लिए समय की जरूरत है। कलेक्टर की बात ध्यान से सुनने के बाद स्वामी जी ने उनके आग्रह को अस्वीकार कर दिया। अपना पक्ष रखते हुए स्वामी जी ने कहा कि तपस्या के दो पहलू हैं, एक गंगा का विरोधी पक्ष, दूसरा समर्थक पक्ष। कोई हल तभी सामने आ सकता है जब दोनों पक्ष आमने-सामने बैठें। वैसे तपस्या आमरण अनशन के रूप में नहीं है क्योंकि गंगा ऐसी नदी हैं जो तपस्या से ही इस धरा पर अवतरित हुईं और तपस्वियों ने अपने प्राणों की आहुति भी दी। लिहाजा मां गंगा के लिए प्राण त्यागना हमारे लिए सौभाग्य की बात होगी। स्वामी जी की बात सुनने के बाद कलेक्टर वहां से लौट गये। दूसरी तरफ सुबह से ही नगर के लोगों का शंकराचार्य घाट (केदारघाट) पहुंचने और स्वामी जी का दर्शन करने व समर्थन देने का तांता लगा रहा। वहां पहुंचने वालों में प्रमुख रूप से विश्व गंगाधिकार न्यास के अध्यक्ष रमेश उपाध्याय, महंत वीरभद्र मिश्र सहित डॉ. गोरखनाथ तिवारी, महुआ डे, डॉ. सविता भारद्वाज, डॉ. भाष्करानंद द्विवेदी, रमेश चोपड़ा, प्रो. कौशल किशोर मिश्र, वागीश मिश्र, यतीनंद्र नाथ चतुर्वेदी, महादेवी हंस आदि शामिल थे।

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