Monday, 12 March 2012

बेहद खफा हैं महंत जी


वाराणसी, सिटी रिपोर्टर : संकटमोचन के महंत प्रो.वीरभद्र मिश्र ने राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण यानी एनजीआरबीए के औचित्य पर सवाल उठाया है। प्राधिकरण के काम-काज से बेहद खफा महंत जी एनजीआरबीए की सदस्यता से इस्तीफा देने का मन बना रहे हैं। ज्ञात हो कि प्रधानमंत्री की अगुवाई वाली संस्था से नाराज मैगसेसे पुरस्कार विजेता राजेन्द्र सिंह, पर्यावरणविद् एमसी मेहता व अनशनरत प्रो.जीडी अग्रवाल ने एनजीआरबीए को पहले ही छोड़ने का मन बना लिया है। भारतीय संस्कृति की जीवन रेखा मां गंगा की निर्मलता व अविरलता के लिए लगभग साढ़े तीन वर्ष पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन की अध्यक्षता में एनजीआरबीए का गठन किया गया था। एनजीआरबीए के सदस्यों का मानना है कि संस्था अपने उद्देश्यों को पाने में नाकाम रही है। यह संस्था न तो गंगा को उचित सम्मान दिला सकी और न ही उसकी धारा का अविरल प्रवाह ही सुनिश्चित कर पाई। एनजीआरबीए के प्रमुख सदस्य प्रो.वीरभद्र मिश्र ने जागरण से बातचीत में अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण में बेसिन शब्द यानी घाटी जुड़ जाने के कारण संस्था का कार्यक्षेत्र काफी व्यापक हो गया है। यह प्राधिकरण पूरी तरह गंगा पर ही केंद्रित होना चाहिए, जिसका काम सिर्फ और सिर्फ गंगा की निर्मलता व अविरलता को अक्षुण्ण रखना हो यानी गंगा की सेहत सुधारना ही एनजीआरबीए का एकमात्र उद्देश्य होना चाहिए। प्रो.मिश्र ने कहा कि प्रधानमंत्री अपनी व्यस्तता के कारण प्राधिकरण की बैठकों में पूरा समय नहीं दे पा रहे हैं। मैने प्रधानमंत्री से बात करने की कोशिश की, किंतु उनसे संपर्क नहीं हो पाया। यदि उनसे बात नहीं हो पाई तो मैं उन्हें पत्र लिखूंगा और अपनी पीड़ा से अवगत कराऊंगा। महंत जी ने स्पष्ट किया कि फिलहाल उन्होंने एनजीआरबीए की सदस्यता से इस्तीफा नहीं दिया है, किंतु प्राधिकरण का कामकाज संतोषजनक न होने के कारण दुखी जरूर हूं। प्राधिकरण की सदस्यता छोड़ने के मुद्दे पर अन्य सहयोगियों से वार्ता के बाद निर्णय लूंगा। ज्ञात रहे कि करोड़ों की गंगा एक्शन प्लान की भारी असफलता के बाद सन् 2009 में गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण का गठन किया गया था। इस प्राधिकरण में केंद्र सरकार के शहरी विकास, जल संसाधन, पर्यावरण तथा विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्रियों के अलावा गंगा के प्रवाह क्षेत्र में आने वाले राज्यों के मुख्यमंत्रियों सहित कुल 24 सदस्य शामिल हैं।

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