हिमखंडों से निकली नदियों में पानी के दिनों में भी काफी पानी उपलब्ध रहता है। जबकि दस प्रायद्वीपीय नदियों में से मध्य प्रदेश से तीन; महाराष्ट्र और कर्नाटक से दो-दो; तथा अरावली और विध्य पर्वतमाला से एक-एक नदी निकलती हैं। इन नदियों में गर्मी के दिनों में पानी की कमी हो जाती है। बड़ी नदियों में जल-ग्रहण क्षेत्र के अनुसार सबसे बड़ी नदी गंगा है और सबसे छोटी साबरमती। प्रायद्वीपीय नदियों में सबसे बड़ी गोदावरी है। नदियों में प्रतिवर्ष बहने वाले पानी की मात्रा के अनुसार ब्रह्मपुत्र पहले स्थान पर और गंगा दूसरे स्थान पर है। प्रायद्वीपीय नदियों में इस सन्दर्भ में भी गोदावरी पहले स्थान पर है
जैसा कि हम जानते हैं कि हमारे देश में 13 बड़ी नदियां हैं। बड़ी नदियों में से तीन नदियां-गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिन्धु हिमालय से निकलती हैं। शेष दस नदियों को प्रायद्वीपीय नदियां कहा जा सकता है। हिमालय से निकली नदियां हिमखंडों से शुरू होती हैं। समुद्र तल से 2,440 मीटर या ऊपर पहाड़ों की चोटियां बर्फ से ढकी रहती हैं। बर्फ की 76 मीटर से अधिक गहरी पर्त हिमखंड या ग्लेशियर कहलाती है। हिमखंडों के निचले भाग में दबाव के कारण पानी बहता रहता है। यही पानी बड़ी-बड़ी नदियों के प्रादुर्भाव में सहायता करता है। हिमखंडों से निकली नदियों में पानी के दिनों में भी काफी पानी उपलब्ध रहता है। जबकि दस प्रायद्वीपीय नदियों में से मध्य प्रदेश से तीन; महाराष्ट्र और कर्नाटक से दो-दो; तथा अरावली और विध्य पर्वतमाला से एक-एक नदी निकलती हैं। इन नदियों में गर्मी के दिनों में पानी की कमी हो जाती है।
बड़ी नदियों में जल-ग्रहण क्षेत्र के अनुसार सबसे बड़ी नदी गंगा है और सबसे छोटी साबरमती। प्रायद्वीपीय नदियों में सबसे बड़ी गोदावरी है। नदियों में प्रतिवर्ष बहने वाले पानी की मात्रा के अनुसार ब्रह्मपुत्र पहले स्थान पर और गंगा दूसरे स्थान पर है। प्रायद्वीपीय नदियों में इस सन्दर्भ में भी गोदावरी पहले स्थान पर है। बड़ी नदियों में तीन नदियां, गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिन्धु अंतर्राष्ट्रीय नदियां हैं। शेष दस अंतर्राज्यी नदियां हैं। मध्य प्रदेश में सात; महाराष्ट्र में पांच; कर्नाटक, गुजरात और राजस्थान में प्रत्येक में चार; आंध्र प्रदेश, उड़ीसा और बिहार में तीन-तीन; केरल, तमिलनाडु, असम सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, जम्मू और कश्मीर तथा हिमाचल प्रदेश में एक-एक नदी का जलग्रहण क्षेत्र है। बड़ी नदियों में से आठ नदियां बंगाल की खाड़ी में, एक अरब सागर में तथा शेष चार खम्भात की खाड़ी में मिलती हैं। बड़ी नदियों के जल-ग्रहण क्षेत्र में छोटी-बड़ी कई नदियाँ होती हैं जो अंत में मुख्य नदी में मिल जाती हैं।
उदाहरण के लिए, गंगा नदी के जल-ग्रहण क्षेत्र में चम्बल, बेतवा, यमुना, गोमती, सोन, पुनपुन, घाघरा, गंडक कोसी और महानन्दा इत्यादि सहायक नदियां हैं, जो अंत में गंगा में विलीन हो जाती हैं। कभी-कभी सहायक नदियों में पानी की मात्रा मुख्य नदी से अधिक होती है, जैसे इलाहाबाद में गंगा से मिलने के समय यमुना में पानी की मात्रा गंगा नदी के मुकाबले लगभग दुगुनी होती है। देश में मध्यम वर्ग की 45 नदियां हैं, इनमें से दस अंतर्राज्यीय हैं। इन नदियों का सम्मिलित जल-ग्रहण क्षेत्र पूरे देश के जलग्रहण क्षेत्र का 7।24 प्रतिशत है। इनमें से 17 नदियां अरब सागर में मिलती हैं, जिनका सम्मिलित जल-ग्रहण क्षेत्र 63,500 वर्ग किलो मीटर है। 24 नदियां पूर्व की तरफ बहकर बंगाल की खाड़ी में विलीन हो जाती हैं। इनका संयुक्त जल-ग्रहण क्षेत्र 19,1,296 वर्ग किलो मीटर है। शेष 4 नदियां भारत से शुरू होकर पड़ोसी देशों तक जाती हैं।
बड़ी नदियों की लम्बाई और उद्गम-स्थल
क्र. सं.  | नदी का नाम  | लम्बाई (किलो मीटर)  | उद्गम-स्थल  | उस स्थान की समुद्र तल से ऊंचाई (मीटर)  | 
1  | ब्रह्मपुत्र  | 2,990  | कैलाश पर्वतमाला  | 5,150  | 
2  | सिन्धु  | 2,880  | मानसरोवर झील  | 5,180  | 
3  | गंगा  | 2,525  | गंगोत्री, उ.प्र.  | 7,010  | 
4  | गोदावरी  | 1,465  | नासिक, महाराष्ट्र  | 3,296  | 
5  | कृष्णा  | 1,400  | महाबलेश्वर, महाराष्ट्र  | 1,360  | 
6  | नर्मदा  | 1,312  | अमरकंटक, म.प्र.  | 900  | 
7  | महानदी  | 857  | रायपुर, म.प्र.  | 1,235  | 
8  | ब्राह्मणी  | 800  | राँची, बिहार  | 600  | 
9  | कावेरी  | 800  | कूर्ग, कर्नाटक  | 1340  | 
10  | तापी  | 724  | बैतुल, म.प्र.  | 730  | 
11  | पेन्नार  | 597  | चेन्नाकेशवा, कर्नाटक  | 760  | 
12  | माही  | 533  | विध्य पर्वतमाला  | 500  | 
13  | साबरमती  | 300  | अरावली पर्तमाला  | 659  | 
यह पूरी नदी की लम्बाई है। भारत के बाहर के हिस्से की लम्बाई भी इसमें निहित है।
लघु नदियाँ 55 हैं। इनमें से अधिकांश पूर्व और पश्चिमी घाट से आरंभ होती है। इनका संयुक्त जल-ग्रहण क्षेत्र 2 लाख वर्ग किलो मीटर है। मुख्यतः छोटी नदियाँ भारत के तटवर्ती क्षेत्रों में बहती हैं।
कुछ रेगिस्तानी नदियाँ भी हैं, जो शुरू कहीं और से होती हैं, पर अंत में समुद्र या महासागर में मिलने के बजाय रेगिस्तान में समाप्त हो जाती हैं जैसे ‘लुनी’ नामक नदी कच्छ के रण में समाप्त हो जाती है।
बड़ी नदियां के जल-ग्रहण क्षेत्र और पानी की मात्रा
क्र. सं.  | नदी का नाम  | जल ग्रहण क्षेत्र (वर्ग किलो मीटर)  | भारत के कुल जल ग्रहण क्षेत्र का प्रतिशत  | पानी का वार्षिक बहाव (करोड़ घन मीटर)  | सभी नदियों के वार्षिक बहाव का प्रतिशत  | पानी के बहाव की दर (घन मीटर/वर्ग किलो मीटर)  | 
1  | गंगा  | 8,61,404  | 27.64  | 49,340  | 29.99  | 5,72,785  | 
2  | सिन्धु  | 3,21,289  | 10.93  | 4,196  | 2.55  | 1,30,583  | 
3  | गोदावरी  | 3,12,812  | 10.03  | 10,500  | 6.38  | 3,35,664  | 
4  | कृष्णा  | 2,58,948  | 8.31  | 6,768  | 4.11  | 2,61,345  | 
5  | ब्रह्मपुत्र  | 2,58,008  | 8.28  | 51,045  | 31.03  | 19,78,427  | 
6  | महानदी  | 1,41,589  | 4.50  | 6,664  | 4.05  | 4,70,658  | 
7  | नर्मदा  | 98,796  | 3,17  | 4,071  | 2.47  | 4,12,010  | 
8  | कावेरी  | 87,900  | 2.82  | 2,095  | 1.27  | 2,38,339  | 
9  | तापी  | 65,145  | 2.09  | 1,798  | 1.09  | 2,76,030  | 
10  | पेन्नार  | 55,213  | 1.77  | 324  | 1.19  | 58,645  | 
11  | ब्राह्मणी  | 39,033  | 1.25  | 1,831  | 1.11  | 4,69,090  | 
12  | माही  | 34,842  | 1.11  | 850  | 0.51  | 2,43,958  | 
13  | साबरमती  | 21,674  | 0.69  | 320  | 0.19  | 1,47,642  | 
जल ग्रहण क्षेत्र का भारत में भाग
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