Saturday, 18 December 2010

वरुणा नदी की भी अजब कहानी





तैयारी सजाने की, हालत यह
वाराणसी, संवाददाता : वरुणा नदी की भी अजब कहानी है। एक तरफ अत्याचार तो दूसरी तरफ करुणा का अंबार। सरकार इस नदी को सजाने, संवारने और उपयोगी बनाने के लिए 171 करोड़ का बजट बना रही है वहीं अतिक्रमण और प्रदूषण से कराह रही इस नदी में स्थानीय स्तर पर शहर का तकरीबन सौ एमएलडी मलजल गिराने की भी तैयारी चल रही है। वह भी तब तक गिरता रहेगा जब तक 496 करोड़ की प्रस्तावित योजना के तहत सथवा में ट्रीटमेंट प्लांट मूर्तरूप नहीं ले लेता। अब तो इस योजना का कास्ट भी बढ़ कर 595 करोड़ के आसपास हो गया है और यह योजना इस समय टेंडर में अटकी पड़ी है। बताते चलें कि महानगर में वर्ष 2003 से चल रही 41.61 करोड़ की रिलीविंग ट्रंक सीवरेज योजना (आटीएस) गंगा एक्शन प्लान के दूसरे फेज का प्रोजेक्ट है। इसके तहत नगर में सड़क खोदकर कुल 5280 मीटर भूमिगत पाइप बिछाने, गंगा की तरफ जा रही पुरानी सीवर लाइनों को मोड़कर बिछाई जा रही सीवर लाइनों से जोड़ने, गंगा घाटों पर बने मेनहोलों का ओवरफ्लो रोकने और नगवा नाले पर पंपिंग स्टेशन का निर्माण करना था। यद्यपि इसे वर्ष 2005 में ही पूरा हो जाना था लेकिन शासन और प्रशासन की माकूल मॉनेटरिंग के अभाव में यह योजना 2010 में पूर्ण होने जा रही है। सिर्फ सिगरा में मेनहोल बनाने का काम शेष है। जिसका काम चल रहा है और दिसंबर तक इसे भी पूर्ण कर लेने का दावा किया गया है। अब प्रस्तावित योजना के तहत सिगरा पर दूसरे फेज का काम समाप्त होने के साथ ही 496 करोड़ के तीसरे फेज का काम भी शुरू हो जाना चाहिए था। ताकि शहरी मलजल का शोधन कर उसे नदी में हवाले करने की महत्वाकांक्षी योजना समय रहते मूर्तरूप ले सके लेकिन यहां तीसरे फेज के प्रति शासन की अनदेखी से आगे का काम अधर में है। ऐसे में अब तक बिछाई गई पाइप लाइनों के ही जरिए ओवर लोड चल रही पूरानी सीवर लाइनों को जोड़ कर सारे मलजल को (चौकाघाट) वरुणा के किनारे निस्तारित करने की तैयारी चल रही है। भविष्य में जब 496 करोड़ की योजना (संशोधन के बाद 595 करोड़) मूर्त रूप लेगी तब कहीं जाकर चौकाघाट (वरुणा किनारे) के पास गिर रहे मलजल को पंपिंग स्टेशन के जरिए सथवां सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट को भेजा जाएगा। शहर को सीवर जाम से निजात दिलाने का यही रास्ता : संबंधित अधिकारियों का कहना है कि शहर की पुरानी मेन सीवर लाइनें अमूमन ध्वस्त हो चुकी हैं। पूरा शहर सीवर जाम की समस्या से जूझ रहा है। सीवर का पानी कहीं सड़क पर फैल रहा है या फिर वॉटर लाइनों के जरिए लोगों के घरों में जा रहा है। इससे निजात तभी मिल सकती है जब ध्वस्त सीवर लाइनों के मलजल को नए पाइप लाइनों के जरिए निकासी की व्यवस्था की जाए। प्रस्तावित योजना के तहत चौकाघाट में पंपिंग स्टेशन का निर्माण कर सारे मलजल को वहीं से सथवा भेजा जाना है लिहाजा पाइप लाइनों की निकासी उधर की गई है। अब दो ही विकल्प हैं या तो योजना को मूर्तरूप लेने तक शहर को सीवर जाम की समस्या से जूझने दिया जाए या फिर इसकी निकासी की जाए। क्या है तीसरे फेज का कार्य : कार्यदायी संस्था गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के अधिकारियों के अनुसार तीसरे फेज में सिगरा से दुर्गाकुंड तक पाइप लाइन बिछाना, चौकाघाट, सथवा में पंपिंग स्टेशन, सथवां में 140 एमएलडी क्षमता वाले एसटीपी का निर्माण किया जाना है। बताया कि वर्ष 2003 से लंबित इस एक्सटेंशन प्रोजेक्ट को वर्ष 2010 में जा कर हरी झंडी तो मिल गई लेकिन अभी यह टेंडर प्रक्रिया में है और इसे मूर्तरूप देने की अवधि पांच वर्ष है।

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